संपादकीय लेख
सत्ता परिवर्तन के साइड इफेक्ट...

Updated on 3 July, 2016, 18:13
संपादकीय लेख
सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रदेश के कला संस्कृति परिद़श्य में भारी फेर-बदल की तैयारियां चल रही हैं। सादगी का प्रदर्शन करनीे वाली गहलोत की कार्यप्रणाली से इतर वसुधरा की भव्यता दर्शाने वाली राजशाही शैली के चलते प्रदेश के कला, संस्कृति परिदृश्य की कल्पना सहज ही की जा सकती... आगे पढ़े
आत्मचिन्तन करें कलाकार
Updated on 3 July, 2016, 18:03
संपादकीय लेख
कला का संवेदनशीलता के साथ-साथ स्वाभिमान से गहरा नाता रहा है। इतिहास बताता है कि कलाकार ने अपने सिद्धान्तों ओर स्वाभिमान के चलते उन पर छत्रछाया रखने वाले सम्राटों तक से कभी समझौता नहीं किया। अपने स्वाभिमान की खातिर उन्होंने अनेक तकलीफ सही और अमर हो गए। आज भले... आगे पढ़े
आखिर आने लगे खुलकर
Updated on 3 July, 2016, 17:59
संपादकीय लेख
प्रदेश में कला और संस्कृति के बढ़ावे के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि के अनुचित उपयोग को लेकर शहर के नामी-गिरामी कलाकारों के रोष जाहिर किए जाने के समाचार ने कला जगत में आ रहे बदलाव की ओर स्पष्ट संकेत किया है। अभी तक की परिपाटियों को देखते... आगे पढ़े
आशंकित पर्यटन
Updated on 3 July, 2016, 17:55
संपादकीय लेख
राजस्थान के पर्यटन उद्योग के बढ़ते वैभव को शायद किसी की नजर लग गई जो इस वर्ष के आगाज के लिए उत्साहित पर्यटन कर्मियों को आशंका का सामना करना पड़ रहा है।
गत वर्ष पिटे पर्यटन उद्योग की भरपाई की उम्मीद इस वर्ष जहां एक ओर क्षेत्र से रोजगार प्राप्त... आगे पढ़े
पाना खजाना...
Updated on 3 July, 2016, 17:52
संपादकीय लेख
मनुष्य की एक प्रवृत्ति रही है बिना किसी मेहनत के बहुत कुछ हासिल करने की। यह प्रवृत्ति किसी देश विशेष की पहचान न होकर पूरे विश्व की मानव जाति पर लागू होती है। इसी प्रवृत्ति के चलते मिस्र से हिन्दुस्तान तक अपने पूर्वजों और राज परिवारों द्वारा गाड़े गए... आगे पढ़े
अपमानित होते शिल्पी; राह भटकते विभाग
Updated on 3 July, 2016, 17:49
संपादकीय लेख
आज हमारा देश आजादी के 62 वर्ष रसास्वादन करके 63वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इन बीते वर्षों में देशवासियों ने विरासत में मिली आजाद फिजां का उपयोग अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आजादी के मर्म को एक कोने में रखते... आगे पढ़े
महंगाई से त्रस्त शिल्पी
Updated on 3 July, 2016, 17:45
संपादकीय लेख
कभी दाल आलू खाने वाले को निम्न आर्य वर्ग का माना जाता था। समाज में उसका स्तर कोई मायने नहीं रखता था। आज अचानक उस निम्न स्तर में सेंसेक्स के उछाल की तरह उच्चस्तरीय प्रभाव दिख रहे हैं। भला क्यों न हो, आलू 16 रुपए किलो और दाल 85... आगे पढ़े
प्रसिद्धि पाने के फण्डे
Updated on 3 July, 2016, 17:38
प्रसिद्धि पाने के फण्डे
कभी किसी समझदार शायर ने बहुत ही सोच विचार और मानवीय स्वभाव के अनुरूप यह पंक्तियां लिखी होंगी;
बदनाम हुए तो क्या, नाम न होगा?
और बरसों पहले की लिखी यह पंक्तियां वर्तमान समय में सही मायने में न केवल चरितार्थ हो रही है वरन् कई ज्ञानी इसे आजमा... आगे पढ़े
- मध्य प्रदेश सरकार देगी पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश, सीएम शिवराज बोले तनावमुक्त रहें
- MP में भाजपा नेता ने राहुल गांधी को लिखा पत्र, कहा - कश्मीर में हैं तो पूर्वजों के गांव घूम आएं
- बुजुर्गों को मथुरा और प्रयागराज की यात्रा हवाई जहाज से करवाएगी राज्य सरकार
- रिश्वत लेने में दोषी पाए गए दो भारतीय कर्मचारी, अदालत ने लगाया भारी-भरकम जुर्माना..
- राजस्थान : दौसा में बालाजी के दर्शन करने पहुंचे राज्यपाल कलराज मिश्र...
- अमित शाह कल करेंगे चुनावी राज्य कर्नाटक का दौरा..
- चोरी का आरोप लगाकर 14 वर्षीय पीड़िता से किया दुष्कर्म..
- Weather: दिल्ली-एनसीआर में शीतलहर के साथ लौटी सर्दी..
- दिल्ली पुलिस ने की छापेमारी,ऑनलाइन ठगी करने वाले 3 लोग गिरफ्तार..
- एक्टर सोनू सूद और रणविजय सिंह बनेंगे एयू जयपुर मैराथन का हिस्सा...
- अमीराती व्यवसायी Dr. Bu Abdullah ने दी बॉलीवुड में दस्तक,बना रहे अपनी पहली फिल्म..
- यजमान नहीं करा रहे 'गोदान' पंडित हैं निराश, सागर के दलदली तट पर पांव जमाना मुश्किल
- शादीशुदा लाइफ को बेहतरीन बनाने के लिए पढ़ें आज की चाणक्य नीति
- घर की इस दिशा में लगाए तुलसी पौधा, मां लक्ष्मी की रहेगी कृपा
- रितेश और जेनेलिया की फिल्म 'वेड' बॉक्स ऑफिस पर मचा रही है धमाल
- षटतिला एकादशी कब है? जानें व्रत विधि और पारण का समय
- माघ मास के धर्म-कर्म:इस पवित्र महीने में सूर्य के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी होती है फलदायी
- इस शुभ योग में प्रारंभ हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि, रखें इन बातों का ध्यान
- मकर संक्रांति क्या सिर्फ 14 जनवरी को ही आती है?
- क्या होता है कन्यादान, विवाह रीति में क्यों निभाई जाती है ये रस्म
मूमल के लिए प्रत्येक पाठक
एक विचार है, बाजार नहीं
मूमल के लिए प्रत्येक पाठक
एक विचार है, बाजार नहीं
एक विचार है, बाजार नहीं