नई दिल्ली । पीएम नरेन्द्र मोदी की अमे‎रिका यात्रा से पहले पहलवानों का ‎विवाद सुलझाने का प्रयास केन्द्र सरकार कर ही है। यही वजह है ‎कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर सरकार शुरू से ही यह दावा कर रही है कि पहलवानों की बात सुनी जा रही है और इस पूरे मामले में कानून अपना काम कर रहा है लेकिन इसके बावजूद पहलवानों के मुद्दे ने जिस तरह से तूल पकड़ा और 28 मई को पहलवानों को घसीटे जाने की तस्वीरें वायरल हुई, उसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बिगड़ रही छवि ने सरकार को चिंतित कर दिया है। यही वजह है कि सरकार ने अब पहलवानों के इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझा लेने के लिए फिर से अपनी कोशिश शुरू कर दी है। इन्ही कोशिशों के तहत पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलवानों से मुलाकात की और अब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी पहलवानों को फिर से बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।
‎‎विश्वसनीय सूत्रों की माने तो, सरकार चाहती है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, दिल्ली पुलिस ने जांच भी शुरू कर दी है और अब कानूनी प्रक्रिया के जरिए दोषी व्यक्ति के खिलाफ अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो अदालत दोषी को सजा देगी लेकिन इस मसले पर अनावश्यक राजनीतिक बयानबाजी और धरना प्रदर्शन अब बंद होना चाहिए क्योंकि इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि खराब हो रही है। हालां‎कि दिल्ली पुलिस की जांच अपने अंतिम चरण में है और जल्द इसकी रिपोर्ट भी आ सकती है। सरकार और भाजपा, दोनों के लिए इस मसले पर स्थिति लगातार असहज होती जा रही है। 
गौरतलब है ‎कि 28 मई को पहलवानों को घसीटे जाने की तस्वीरें देश के साथ-साथ दुनियाभर में वायरल हो रही है। खाप पंचायतों के इस विवाद में उतरने के बाद किसान आंदोलन जैसी स्थिति पैदा होने का खतरा बनने लगा था, यहां तक कि भाजपा के लिए जाट वोटरों के नाराज होने का भी खतरा पैदा हो गया था। भाजपा की चुनावी जीत में महिला मतदाताओं की भूमिका काफी अहम रही है लेकिन महिला पहलवानों के यौन शोषण का मुद्दा गरमाने की वजह से उनके भी छिटकने का खतरा बढ़ता जा रहा था। भाजपा के महिला सांसदों के लिए भी इस पर जवाब देना मुश्किल होता जा रहा था। भाजपा की महिला सांसद प्रीतम मुंडे ने कहा कि महिला पहलवानों की शिकायत पर तुरंत विचार होना चाहिए। भाजपा के अन्य सांसदों को भी अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में जाकर ऐसा ही बयान देना पड़ रहा था।