पांच ‎किमी दूर तक ट्रेन के टकराने की आवाज आई, बचाव कार्य अभी भी जारी 


भुवनेश्वर। बालेश्वर के बाहनगा में हुए ट्रेन हादसे को देखकर लोग ‎सिहर गए। जैसे ही दुर्घटना घटी, ट्रेन की एक बोगी तो दूर उड़ गई। जब‎कि यहां-वहां लोगों के कटे हुए हाथ व पैर पड़े हुए ‎दिखाई ‎दिए। लोगों का कहना है ‎कि यह ट्रेन दुर्घटना शायद भारतीय ट्रेन हादसे की सबसे बड़ी ट्रैजेडी मानी जा रही है। हादसे के दर्दनाक मंजर ने दिल दहला दिया है। बचाव दलों को ट्रेन में सवार लोगों के शव यहां-वहां बिखरे मिले। जानकारी के अनुसार, यह ट्रेन हादसा इनता भयानक था कि हादसे के बाद बोगी उड़ गई। हादसे की आवाज पांच किमी तक सुनाई दी। लोग सहम उठे। दुर्घटनास्थल का मंजर तो और भी दिल दहलानेवाला था। ट्रेन में सवार लोगों के शव यहां-वहां बिखरे मिले। कहीं किसी का कटा हुआ हाथ पड़ा था तो कहीं पर किसी का पैर। ट्रेन के नीचे सैंकड़ों लोग फंसे थे। उनके कराहने की आवाज से दुर्घटनास्थल गूंज रहा था। शुक्रवार शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस-बंगलौर हवाड़ा एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। पहले बाहनगा के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतरी थी। इसके बाद इसी लाइन से आ रही बंगलौर-हावड़ा एक्सप्रेस ने कोरोमंडल को धक्का दिया और 17 कोच पटरी से उतर गए।
अभी भी यहां पर राहत और बचाव कार्य जारी बताया जा रहा है। हालां‎कि हादसे के 14 घंटे बीत चुके हैं। शुक्रवार शाम से राहत और बचाव कार्य चल रहा है, रेस्क्यू दल को हर बोगियों के नीचे लोगों के शव बरामद हुए। मौत का तांडव जारी है और ये आंकड़ा और बढ़ सकता है। मुख्य सचिव ने कहा है कि अभी एक जनरल डिब्बे का राहत बचाव कार्य शुरू हुआ है। राहत और बचाव कार्य में अभी भी कम से कम 2 से 3 घंटे का समय लगेगा। हादसे के बाद स्थानीय लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों और बचाव दल की टीम पहुंची मगर अंधेरे के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। बचाव अभियान भी ठीक से नहीं चल पाया। करीब डेढ़ घंटे बाद स्थानीय प्रशासन और बाहनगा रेलवे स्टेशन ने लाइट की व्यवस्था की और लाइट जलने के बाद यात्री टूटे हुए हाथ-पैर के साथ लेटे नजर आए। हादसे के बाद घायल यात्रियों को स्थानीय बाहनगा और सोरो अस्पताल के साथ बालेश्वर जिला अस्पताल ले जाया गया। बालेश्वर अस्पताल में युद्ध स्तर पर उनका इलाज शुरू किया गया।
सोशल मी‎डिया की अपील काम आई। क्यों‎कि हादसे की वजह से गंभीर घायलों का काफी खून बह गया था। नतीजतन, उन्हें खून की आवश्यकता थी। बालेश्वर ब्लड बैंक में जमा खून खत्म हो गया। इस बीच, कई गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया पर प्रचार प्रसार शुरू किया। नतीजतन, कुछ ही मिनटों में सैकड़ों लोग रक्तदान करने के लिए अस्पताल पहुंच गए। कतार में खड़े होकर लोगों ने रक्तदान किया। हादसे के बाद ट्रेन में सफर कर रहे परिवार के सदस्य एक-दूसरे से बिछड़ गए। दोस्त एक दोस्त से अलग हो गए। कौन जीवित है, किसका जीवन चला गया है देखने के लिए कुछ भी नहीं था। ऐसे समय में जो बचे थे चित्कार कर रहे थे और अपनों को खोज रहे थे।