उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, उन्हीं में से एक भरत मंदिर भी है. यह मंदिर भगवान हृषिकेश नारायण को समर्पित है. इस क्षेत्र को उन्हीं के कारण ऋषिकेश नाम से जाना जाता है. क्योंकि यह भगवान हृषिकेश की नगरी है और मान्यताओं के अनुसार वह आज भी यहां विराजमान हैं.

ऋषिकेश का प्रसिद्ध भरत मंदिर

लोकल 18 के साथ खास बातचीत में इस मंदिर के पुजारी धर्मानंद शास्त्री ने बताया कि भरत मंदिर का इतिहास स्कंद पुराण में वर्णित है. यह मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है. यहां साक्षात भगवान विष्णु का वास है. रैभ्य मुनि ने इस क्षेत्र में घोर तप किया था. जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें इस स्थान पर दर्शन दिए थे. रैभ्य मुनि के आग्रह पर भगवान विष्णु हृषिकेश नाम से इस मंदिर में विराजमान हैं. हिंदू संत शंकराचार्य द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर ऋषिकेश के इस मंदिर में पीठासीन देवता की मूर्ति को पुनः स्थापित किया. जिसके बाद से हर बसंत पंचमी पर यहां भव्य जुलूस का आयोजन किया जाता है. साथ ही अक्षय तृतीया के दिन भगवान नारायण के चरणों के दर्शन करवाए जाते हैं, जिस वजह से इस पर्व पर भव्य आरती का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है.


अक्षय तृतीया पर होते हैं भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन

पुजारी धर्मानंद ने बताया कि इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. हर साल अक्षय तृतीया के दिन विष्णु भगवान के चरणों के दर्शन करवाए जाते हैं, जोकि साल में सिर्फ एक बार ही देखने को मिलते हैं. जिसके बाद ही चारों धाम के कपाट खुलते हैं. इस दिन इस मंदिर में काफी भीड़ रहती है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन यहां दर्शन के लिए आते हैं. वहीं माना जाता है कि जो कोई भी इस दिन इस मंदिर के दर्शन कर परिक्रमा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.