कालीबंगा का शिवलिंग भारतीय धार्मिक परंपरा की जड़ें उजागर करता है :डॉ. श्याम उपाध्याय
हनुमानगढ़ (राजस्थान)। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के कालीबंगा में खुदाई के दौरान एक ऐसा प्राचीन शिवलिंग मिला है, जिसने ऐतिहासिक और धार्मिक शोध में नई रोशनी डाली है। पुरातत्वविदों के अनुसार, यह शिवलिंग करीब 5500 वर्ष पुराना है और टेराकोटा (पकी हुई मिट्टी) से निर्मित है। इसकी लंबाई मात्र 4.5 सेंटीमीटर है, लेकिन इसका सांस्कृतिक महत्व विशाल है।
कालीबंगा संग्रहालय में संरक्षित यह शिवलिंग, बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित वर्तमान शिवलिंग से हजारों वर्ष प्राचीन माना जा रहा है। काशी विश्वनाथ का शिवलिंग जहां लगभग 250–300 वर्ष पुराना बताया जाता है, वहीं कालीबंगा में मिला शिवलिंग हड़प्पा काल (सिंधु घाटी सभ्यता) से जुड़ा है।
शिव-भक्ति के प्रमाण:
खुदाई में केवल शिवलिंग ही नहीं, बल्कि नंदी की आकृति, पीपल पूजन मुद्रा वाले सिक्के और अन्य कई अवशेष मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि हड़प्पा सभ्यता के लोग शिव, नंदी और पीपल की पूजा करते थे। इतिहास शोधकर्ता डॉ. श्याम उपाध्याय के अनुसार, यह खोज दर्शाती है कि शिव की उपासना की जड़ें भारतीय सभ्यता में अत्यंत गहराई से जुड़ी हुई हैं।
संग्रहालय में 1450 से अधिक वस्तुएं संरक्षित:
कालीबंगा में पिछले 65 वर्षों से चल रहे उत्खनन कार्य में अब तक 1450 से अधिक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। इन सभी को कालीबंगा संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है, जहाँ हर वस्तु के साथ उसके ऐतिहासिक विवरण और उपयोग की जानकारी दी गई है।
हड़प्पा का सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा कालीबंगा:
विशेषज्ञों का मानना है कि कालीबंगा न केवल व्यापार का केंद्र रहा होगा, बल्कि यह क्षेत्र कृषि, धार्मिक गतिविधियों और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध था। माना जाता है कि किसी प्राकृतिक आपदा के चलते यह इलाका उजड़ गया था।